
बिहार की सियासत में रविवार की सुबह थोड़ी सुस्त थी, लेकिन फिर आया जदयू सांसद गिरधारी यादव का बम और पूरा माहौल गरमा गया। टीवी चैनल पर आए और बोले कुछ ऐसा कि बीजेपी की पेशानी पर पसीना और कांग्रेस की एक्स टाइमलाइन पर मुस्कान आ गई।
“हम तो आते-जाते रहते हैं… टिकट तो नहीं लेते!”
गिरधारी यादव ने अपनी बात बड़ी सहजता से कही — जैसे ट्रेन पकड़ने की बात हो।
“हमलोग NDA से महागठबंधन में गए, फिर NDA में आए, फिर महागठबंधन में गए… ये तो चलता रहता है!”
यानि गठबंधन उनके लिए जैसे कोई पान की दुकान हो — जहाँ मन किया, चले गए। फर्क इतना ही कि वहाँ उधार नहीं चलता, लेकिन राजनीति में सब चलता है।
नीतीश नहीं तो NDA Out: गिरधारी यादव का अल्टीमेटम
जदयू सांसद ने कहा कि अगर नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया गया तो JDU बिना टिकट कटवाए ही महागठबंधन में वापसी कर लेगा।
“अगर बीजेपी नीतीश को सीएम नहीं बनाएगी, तो हम सीधा (महागठबंधन) जाएंगे! इसमें क्या दिक्कत है?”
इतना ही नहीं, उन्होंने एकनाथ शिंदे मॉडल को भी खारिज कर दिया —
“वो (BJP) बोलेगा एकनाथ शिंदे की तरह करेंगे, वो हमलोग मानने वाले नहीं हैं बिहार की जनता!”
पुराने बयानों से भी कर चुके हैं परेशानी
गिरधारी यादव वही सांसद हैं जिन्होंने वोटर लिस्ट SIR विवाद पर भी पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया था। पार्टी ने उन्हें नोटिस थमा दिया था, लेकिन लगता है गिरधारी जी पर नोटिस का असर वैसा ही पड़ा जैसा कुर्सी पर बैठे मंत्री पर प्याज के दाम का।
कांग्रेस ने लपका बयान
गिरधारी यादव का बयान आया नहीं कि कांग्रेस ने ट्विटर (अब X) पर लपक लिया। बयान का क्लिप शेयर करते हुए उन्होंने शायद मन ही मन सोचा होगा —
“बिना मेहनत के मुद्दा तैयार हो गया भाई!”
सियासी विश्लेषक कह सकते हैं कि यह बयान BJP पर दबाव बनाने की रणनीति है। गठबंधन की राजनीति में “आना-जाना” अब इतना आम हो गया है कि शायद अगली बार पार्टियां ‘रिटर्न टिकट’ के साथ गठबंधन करेंगी।
गिरधारी यादव का बयान बताता है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार सिर्फ नेता नहीं, ब्रांड हैं — जिसे कोई छू नहीं सकता, और कोई छोड़ भी नहीं सकता। गठबंधन भले बदल जाए, लेकिन सीएम कुर्सी पर नीतीश ही बैठेंगे, ये जदयू की लाइन है।
बाकी, NDA में नीतीश रहें या ना रहें — ये अब बीजेपी के ऊपर है। मगर याद रखिए, बिहार में राजनीति मौसम से भी ज़्यादा बदलती है!